
क्या Diabetes को Yoga से Control किया जा सकता है?
क्या Yoga से Diabetes को Reverse किया जा सकता है?
क्या Diabetes एक बार हो जाने के बाद इसे ठीक किया जा सकता है?
यदि आप Diabetes रोगी हैं, तो आपके मन भी ये प्रश्न बार-बार उठते होंगे कि :
क्या Diabetes एक बार हो जाने के बाद इसे ठीक किया जा सकता है?
क्या Diabetes को Revers किया जा सकता है?
Diabetes Control करने में Yoga की क्या भूमिका हो सकती है?
क्या आपके मन में भी इत्यादि प्रश्न बार-बार उ ठते रहते हैं?
कि योग से मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है अथवा नहीं?
क्या आप इन प्रश्नों का उत्तर जानना चाहते हैं?
तो उपरोक्त प्रश्नों का उत्तर है:
Diabetes को Yoga से 100 प्रतिशत Control किया जा सकता है।

परंतु उस Yoga से नहीं जिसे एक सामान्य लोग योग समझते हैं। आज कोई थोड़ा सा आसन कर लेता है , कुछ प्राणायाम कर लेता है और उसे ही योग मान बैठता है। उनके अनुसार Runing भी योग है। कसरत भी योग है। कुछ लोग तो योग और एक्सरसाइज में अंतर भी नहीं समझते।
उनके दृष्टि में Runing करना भी योग है । टहलना भी योग है।
अतः यदि आपको योग से Diabetes Control करना है, तो पहले Yoga को जाने,
Yoga कहते किसे हैं?
यहां पर उस योग की चर्चा कर की जा रही है जिसे, ऋषियों ने समाधि प्राप्त करने के साधन के रूप में माना है, और इसे एक व्यवस्थित प्रोटोकॉल के रूप में प्रतिपादित किया है।
यह एक ऐसी जीवन शैली है, जिसे अपना कर दुनिया की कोई भी सफलता प्राप्त की जा सकती है Diabetes को Control करना तो बहुत छोटी सी बात है।

Diabetes को योगिक जीवनशैली (Yogic Lifestyle) से 100 % Control किया जा सकता है।

अब प्रश्न उठता है कि क्या है योगिक जीवन शैली (Yogic Lifestyle)
योगिक जीवन शैली का मतलब है “योग के अनुसार जीवन जीने का ढंग”
हमें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सभी आवश्यक कार्यों का संपादन योग के अनुसार करना।
कब सोना चाहिए?
क्या खाना चाहिए?
क्या नहीं खाना चाहिए?
कैसा व्यवहार होना चाहिए?
कैसा आचरण होना चाहिए?
जब यह संपूर्ण दिनचर्या यदि योग के निर्देशों के अनुसार की जाती है तो वही कहलाती है योगिक जीवनशैली।
अतः Step by Step समझते हैं कि Yoga (योगिक जीवनशैली) से Diabetes को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है? योग मुख्य रूप से 6 वैदिक दर्शन का एक दर्शन है।
दर्शन का प्रमुख सिद्धांत है कि किसी भी कार्य को नष्ट करने के लिए उसके कारण को नष्ट करना आवश्यक है। कारण के रहते कार्य को समाप्त नहीं किया जा सकता है।
अतः इसी नियम के आधार पर Diabetes को Control करने की आधारशिला स्थापित होगी।
अतः Yoga से Diabetes Control करने के लिए पहला कदम (First Step) :

जानें Diabetes का मूल कारण?
Diabetes की उत्पत्ति कैसे होती है?
How does Diabetes originate?
Diabetes की उत्पत्ति मुख्य रूप से तीन कारण है:
- तनाव
- अव्यवस्थित दिनचर्या
- आलसी जीवन
1. Diabetes का पहला कारण तनाव :
तनाव Diabetes का मुख्य कारण है। Diabetes को मनोकायिक (Psychosomatic) रोग के नाम से भी जाना जाता है। मनोकायिक (Psychosomatic) रोग उस रोग को कहते हैं,
जिसकी उत्पत्ति सबसे पहले मन में होती है। तनाव, चिंता,
भय आदि के कारण सबसे पहले मन डिस्टर्ब होता है और इसका प्रभाव जब शरीर पर आने लगता है तो ऐसे रोगों को मनोकायिक (Psychosomatic) रोग को कहते हैं।
Diabetes रोग की उत्पत्ति भी इसी प्रकार से होती है। अब तक हुए अनुसंधानों में पाया गया है कि जब कोई भी तनाव 3 से 6
महीने तक लगातार बना रहता है तो यह सबसे पहले मस्तिष्क का महत्वपूर्ण भाग हाइपोथैलेमस को डिस्टर्ब करता है। हाइपोथैलेमस प्रभावित होकर पिट्यूटरी ग्रंथि को प्रभावित करती है।
पिट्यूटरी ग्लैंड डिस्टर्ब होती है, तो संपूर्ण अंतः स्रावी तंत्र प्रभावित हो जाता है। पेनक्रियाज अंतः स्रावी तंत्र की ही ग्रंथि है जो पिट्यूटरी ग्लैंड के अधीनस्थ काम करती है।
इस प्रकार पेनक्रियाज भी प्रभावित होता है, जिसके परिणाम स्वरूप इंसुलिन का Secration भी प्रभावित हो जाता है और व्यक्ति Diabetes का रोगी हो जाता है।

2.अव्यवस्थित दिनचर्या :
Diabetes का दूसरा कारण अवस्थित दिनचर्या को माना जाता है। जब कोई भी व्यक्ति के सोने का समय, खाने का समय, खाने में सामग्री क्या होनी चाहिए? क्या नहीं होनी चाहिए?
इन तथ्यों का बिना विचार की जो मिला, जितना मिला, जब मिला, खाता रहता है। सोने जागने का भी कोई नियम नहीं हैं, तो यह अव्यवस्थित दिनचर्या कहलाती है।
यह अव्यवस्थित दिनचर्या लम्बे समय तक चलती रहती है तो हमारे शरीर के बायोलॉजिकल क्लॉक को डिस्टर्ब करती है, जिससे Diabetes रोग की उत्पत्ति होती है।
3. आलसी जीवन:
आलसी जीवन भी Diabetes रोग का कारण माना जाता है। ऐसे लोग जिनके जीवन में वर्कआउट का अभाव है। केवल हैवी कैलोरी भोजन करते हैं और आलस्यमय जीवन जीते हैं,
जिसके परिणाम स्वरूप वजन अनियंत्रित हो जाता है। बढ़ा हुआ वजन शरीर के सभी तन्त्रों को प्रभावित करता है और Diabetes रोग की उत्पत्ति होगी।
उपरोक्त तीनों कारणों में तनाव ही मुख्यतः Diabetes रोग का कारण है।
किसी भी प्रकार का तनाव, चिंता, भय आने से जीवन शैली सीधे तौर से अवस्थित हो जाती है।
कही आप भी तो नहीं उपरोक्त जीवन शैली से गुजर रहे हैं?
यदि हां तो सावधान हो जाइए……. यदि आप Diabetes रोगी नहीं है तब भी आप इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
जाने Diabetes को Control करने में विचारों के प्रभाव का सार्वभौमिक नियम:
विचारों के प्रभाव का सार्वभौमिक नियम Diabetes के नियंत्रण में अति आवश्यक है।
कोई भी विचार जब हमारे मन में उत्पन्न होता है तो वह अपनी प्रकृति के अनुसार हमारे मस्तिष्क के महत्वपूर्ण भाग हाइपोथैलेमस को प्रभावित करता है।
अच्छे विचार आने पर हाइपोथैलेमस पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जबकि भय, तनाव, चिंता आदि पीड़ा दायीं विचार इस पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
योग दर्शन में महर्षि पतंजलि ने असंख्य विचारों को इनकी प्रकृति के अनुसार दो भागों में विभाजित किया है। विचारों की पहले प्रकृति का नाम है क्लिष्ट और दूसरी प्रकृति का नाम है अक्लिष्ट।
यहां क्लिष्ट का तात्पर्य उन विचारों से है जो हमें कष्ट देते हैं, पीड़ा देते है, तकलीफ देते हैं। और अक्लिष्ट का तात्पर्य ऐसे विचारों से है जिनके परिणाम कष्ट नहीं बल्कि सकारात्मक होते हैंं।
जब भी हमारे मस्तिष्क में कोई विचार आता है, तो वह सबसे पहले हाइपोथैलेमस को प्रभावित करता है,
हाइपोथैलेमस से पिट्यूटरी ग्लैंड और पिट्यूटरी ग्रंथि से संपूर्ण अंतः स्रावी तंत्र प्रभावित हो जाता है जिसके परिणाम स्वरूप विचारों की प्रकृति के अनुसार हारमोंस का स्रावण प्रारंभ हो जाता है।
यह प्रक्रिया बहुत ही तीव्र गति से प्रत्येक व्यक्ति में संचालित होती है।
Diabetes रोग की उत्पत्ति और प्रबंधन दोनों में होती है विचारों की अहम भूमिका :
विचारों के प्रभाव के सार्वभौमिक नियम में हमने देखा कि विचार अपनी प्रकृति के अनुसार हमारे शरीर पर कैसे प्रभाव डालते हैं? चित्त अथवा मन में कष्ट, भय, चिंता,
तनाव उत्पन्न करने वाले विचारों का सतत् प्रवाह ही Diabetes रोग की उत्पत्ति का मुख्य कारण है। अतः Diabetes नियंत्रण में सकारात्मक प्रसन्नता देने वाले विचारों की अहम भूमिका होगी।
इस प्रकार उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट हो रहा है, कि मन में तनाव, चिंता, भय आदि का लंबे समय तक एक प्रवाह के रूप में बने रहना ही Diabetes रोग का मुख्य कारण है।
कोई भी विचार श्रृंखला या जीवन पद्धति जब लंबे समय तक चलती है, तो धीरे-धीरे मस्तिष्क में उसका एक न्यूरोलॉजिकल पाथवे विकसित हो जाता है,
जिसे हम बोल चाल की भाषा में आदत और अध्यात्म की भाषा में संस्कार कहते है। जैसे-जैसे यह न्यूरोलॉजिकलपाथवे/आदत/संस्कार मस्तिष्क में दृढ़ अथवा मजबूत होता-जाता है, वैसे-
वैसे उस व्यक्ति के जीवन में उपरोक्त प्रकार के विचारों की श्रृंखला स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होकर प्रवाहित होने लगती हैं और उसकी ऐसी आदत बन जाती है।
किसी भी विचार श्रृंखला की जब एक बार आदत पड़ जाती है अथवा न्यूरोलॉजिकल पाथवे विकसित होकर दृढ़ हो जाता है तो उसका कारण न रहने पर भी वह स्वाभाविक रूप से अपने प्रवाह को बनाए रखता है।

इसीलिए कोई भी तनाव आते ही मधुमेह रोग का कारण नहीं बनता। जब चिंता, भय, तनाव आदि पीड़ादायीं विचार 3 से 6 महीने तक मन अथवा चित्त में लगातार प्रवाहित होते रहते हैं तो Diabetes रोग की उत्पत्ति करते हैं।
क्या आप Diabetes रोगी हैं?
यदि हां तो सोचिए आपको मधुमेह रोग की उत्पत्ति कब हुई थी?
जब आपको मधुमेह रोग की उत्पत्ति हुई थी तो क्या उसके 3 महीने से 6 महीने पहले जीवन तनाव, चिंता और भय से गुजर रहा था?
कहीं वे तनाव, चिंता और भय आज भी तो नहीं विद्यमान हैं?
यदि वे तनाव, चिंता और भय अब विद्यमान नहीं है तो आपने 50 प्रतिशत मंजिल प्राप्त कर ली है। और यदि वे तनाव, चिंता और भय आदि अभी भी विद्यमान हैं तब Diabetes को Control
करना थोड़ा सा और कठिन हो जाता है।
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि Diabetes का मूल कारण क्या है?
Diabetes के उपरोक्त प्रमुख तीन कारणों में से एक हो सकते है, दो हो सकते हैं अथवा तीनों कारण भी हो सकते हैं, क्योंकि ये तीनों कारण एक-दूसरें से अन्तः सम्बन्धित (Interrelated) हैं।
क्या आप मधुमेह रोगी हैं?
क्या आप अपनी Diabetes को Yogic Lifestyle से नियंत्रित करना चाहते हैं? Diabetes Reversal Yoga सिखना चाहते हैं?
Diabetes Reverse करने के लिए योगिक लाइफस्टाइल का इंप्लीमेंट करना चाहते हैं?
यदि हाँ तो हमारे 10 days Yoga challenge to Control Your Diabetes को ज्वाइन कर सकते हैं।
यौगिक जीवन पद्धति से मधुमेह को नियंत्रित कैसे करें?
How to control diabetes with yogic lifestyle? को विस्तार से जानने के लिए हमारे अगले ब्लॉक का इंतजार करें।